आजकल इंटरनेट और स्मार्टफोन का उपयोग बढ़ने के साथ-साथ साइबर क्राइम भी तेजी से बढ़ा है। हाल ही में एक नया शब्द सामने आया है — "डिजिटल अरेस्ट"। यह शब्द सुनने में नया ज़रूर है, लेकिन इसके पीछे की ठगी की योजना (scam) बेहद खतरनाक और चालाक होती है।
लोगों को डराकर, कानून का डर दिखाकर और फर्जी कॉल के ज़रिए यह साइबर ठग आपके पैसे, डेटा, और गोपनीय जानकारी लूट सकते हैं।
आइए विस्तार से समझते हैं कि डिजिटल अरेस्ट क्या है, लोग इसमें कैसे फंसते हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है।
🚨 डिजिटल अरेस्ट क्या है?
"डिजिटल अरेस्ट" एक प्रकार की साइबर ठगी (cyber fraud) है, जिसमें अपराधी खुद को पुलिस, CBI, साइबर सेल या किसी सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर पीड़ित को फोन या वीडियो कॉल पर धमकाते हैं।
वे कहते हैं कि आपका नाम किसी अपराध, मनी लॉन्ड्रिंग, अवैध कूरियर, या पॉर्नोग्राफी जैसे मामले में आ गया है और अब आपको "डिजिटल रूप से गिरफ्तार" किया जाएगा।
⚠️ कैसे डराया जाता है?
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कॉलर कहता है कि आपकी कॉल रिकॉर्ड की जा रही है।
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वीडियो कॉल पर पुलिस जैसी ड्रेस पहने हुए नकली अफसर दिखते हैं।
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कहता है – "आपको तुरंत पैसा जमा करना होगा नहीं तो आपको फिजिकल अरेस्ट किया जाएगा।"
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आपको एक वीडियो कॉल पर घंटों तक रोके रखते हैं ताकि आप किसी और से संपर्क न कर सकें।
🎭 लोग इसमें कैसे फंसते हैं?
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अचानक कॉल आता है:
कॉलर खुद को बैंक/पुलिस/CBI का अधिकारी बताता है। -
डरावनी भाषा का प्रयोग:
कहता है कि आपके नाम पर कोई आपराधिक गतिविधि दर्ज है। -
कस्टडी या सस्पेंडेड अकाउंट का झांसा:
कहता है कि आपकी कूरियर में ड्रग्स/पैसे/फर्जी दस्तावेज़ पाए गए हैं। -
मनुष्य की स्वाभाविक घबराहट:
आम लोग डर जाते हैं और जांच-पड़ताल किए बिना उनकी बातों में आ जाते हैं। -
पेमेंट की मांग:
कहता है कि जांच में सहयोग के लिए तुरंत पैसे ट्रांसफर करें।
💸 डिजिटल अरेस्ट का मकसद क्या होता है?
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पैसा ठगना (bank fraud)
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आपका डाटा चुराना
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आपका फेस रिकॉर्ड करना
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आपके सोशल मीडिया या बैंक अकाउंट्स हैक करना
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आपको मानसिक रूप से ब्लैकमेल करना
🛡️ इससे कैसे बचा जाए?
✔️ बचाव के तरीके | ❗क्या न करें |
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किसी भी अनजान नंबर से आए कॉल पर भरोसा न करें | डर के मारे तुरंत पेमेंट न करें |
सरकारी अधिकारी होने का दावा करने वाले व्यक्ति से पहचान मांगें | उन्हें OTP, बैंक डिटेल्स न दें |
कॉल रिकॉर्ड करें और परिवार या साइबर हेल्पलाइन को बताएं | अकेले निर्णय न लें |
किसी भी स्थिति में UPI/NEFT/QR Code स्कैन न करें | वीडियो कॉल पर घंटों फंसे न रहें |
cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें | पर्सनल डॉक्यूमेंट शेयर न करें |
📞 साइबर हेल्पलाइन नंबर
अगर आप या आपके जानने वाले किसी तरह के डिजिटल अरेस्ट या साइबर ठगी में फंसे हैं, तो आप तुरंत संपर्क करें:
📌 1930 – साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर (24×7)
📌 www.cybercrime.gov.in
📌 निष्कर्ष
"डिजिटल अरेस्ट" कोई असली कानूनी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक सुनियोजित साइबर अपराध है।
इसका मकसद सिर्फ आपको डराकर आपके पैसे और डेटा चुराना होता है।
जागरूक बनें, सतर्क रहें, और अपने परिवार, बुजुर्गों, बच्चों को भी इसके बारे में बताएं। क्योंकि सचेत नागरिक ही सुरक्षित नागरिक होता है।
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