रविवार, 20 जुलाई 2025

🌍 SWIFT बनाम BRICS करेंसी बनाम USA Stablecoin – अंतर, उपयोग और भविष्य की दिशा |

विश्व अर्थव्यवस्था एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। जहां एक ओर पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम SWIFT के माध्यम से काम करता है, वहीं दूसरी ओर BRICS देश अपनी नई करेंसी लाने की तैयारी में हैं और अमेरिका डिजिटल स्टेबल कॉइन (Stablecoin) को बढ़ावा दे रहा है। आइए जानें कि ये तीनों सिस्टम क्या हैं, कैसे काम करते हैं और इनका परस्पर क्या फर्क है।


🔶 1. SWIFT क्या है?

SWIFT (Society for Worldwide Interbank Financial Telecommunication) एक ग्लोबल मैसेजिंग नेटवर्क है जिसका उपयोग बैंक अंतरराष्ट्रीय भुगतान भेजने और प्राप्त करने के लिए करते हैं।

🌐 कैसे काम करता है?

  • SWIFT खुद पैसे नहीं भेजता, बल्कि केवल एक सुरक्षित मैसेजिंग प्लेटफॉर्म है।

  • यह बैंक को बताता है कि किसे कितना पैसा भेजना है और कहाँ भेजना है।

  • उदाहरण: SBI भारत से अमेरिका में Citibank को $1000 भेजने के लिए SWIFT कोड के जरिए अनुरोध करता है।

🏦 आधार:

  • पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम पर आधारित

  • धीमा (1–3 दिन में ट्रांजैक्शन)

  • ज्यादा फीस और इंटरमीडिएट बैंकों पर निर्भरता


🔷 2. BRICS नई करेंसी क्या है?

BRICS (Brazil, Russia, India, China, South Africa) देशों द्वारा प्रस्तावित एक संयुक्त मुद्रा प्रणाली है, जिसे डॉलर के वर्चस्व को कम करने और आपसी व्यापार को मजबूत करने के लिए लाया जा रहा है।

🪙 संभावित विशेषताएँ:

  • यह करेंसी सोने या कमोडिटी जैसे भौतिक संपत्तियों से जुड़ी हो सकती है।

  • डिजिटल फॉर्म में हो सकती है (CBDC – Central Bank Digital Currency)

  • इसका उद्देश्य अमेरिका की डॉलर आधारित अर्थव्यवस्था से आजादी पाना है।

💡 क्यों ज़रूरी?

  • डॉलर के ग्लोबल वर्चस्व को चुनौती देना

  • अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने का साधन

  • ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार आसान बनाना


🔶 3. USA Stablecoin क्या है?

Stablecoin एक प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी है जिसकी वैल्यू एक स्थिर एसेट से जुड़ी होती है – जैसे USD, सोना या कोई सरकारी बॉन्ड।

🇺🇸 USA Stablecoins के उदाहरण:

  • USDC (USD Coin) – 1 USDC = 1 USD

  • USDT (Tether) – सबसे पुराना और सबसे बड़ा स्टेबल कॉइन

  • यह ब्लॉकचेन तकनीक पर चलता है।

📲 कैसे काम करता है?

  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स और ब्लॉकचेन पर आधारित तेज़, सुरक्षित और पारदर्शी ट्रांजैक्शन

  • सेकंडों में सीमा पार भुगतान संभव


📊 मुख्य अंतर तालिका

विषयSWIFTBRICS करेंसीUSA Stablecoin
प्रकारबैंकिंग नेटवर्कसंयुक्त डिजिटल/फिजिकल करेंसीडिजिटल क्रिप्टो करेंसी
नियंत्रणबैंकों के हाथब्रिक्स देश की सरकारेंप्राइवेट कंपनियां, रेगुलेटेड
ट्रांजैक्शन स्पीडधीमी (1-3 दिन)संभावित तेज़तुरंत (सेकंडों में)
लागतज्यादाअपेक्षाकृत कमबहुत कम
उपयोगअंतरराष्ट्रीय बैंक ट्रांसफरब्रिक्स देशों के व्यापार मेंग्लोबल डिजिटल भुगतान
पारदर्शितासीमिततय नहींब्लॉकचेन आधारित पारदर्शिता
भरोसापुरानी प्रणाली, भरोसेमंदनया प्रयोगतकनीकी रूप से उन्नत लेकिन अस्थिरता संभव

🔍 वर्तमान बैंकिंग बनाम नई मुद्रा प्रणालियाँ

पारंपरिक बैंकिंगनई डिजिटल करेंसी
मध्यस्थ (बैंक) ज़रूरीPeer-to-Peer संभव
कागजी कार्यवाहीडिजिटली आसान
सीमित समय में लेनदेन24x7 वैश्विक लेनदेन
सरकार/बैंक नियंत्रितकुछ प्राइवेट, कुछ सरकारी
डेटा पारदर्शिता कमब्लॉकचेन पर ओपन रेकॉर्ड

🧠 निष्कर्ष

  • SWIFT आज भी ग्लोबल बैंकिंग का स्तंभ है, लेकिन यह धीमा और महंगा है।

  • BRICS करेंसी भविष्य में डॉलर पर निर्भरता घटाने का प्रयास है, लेकिन अभी यह योजना के स्तर पर है।

  • USA Stablecoins ब्लॉकचेन क्रांति का हिस्सा हैं और तेज़, पारदर्शी और कम लागत वाली वित्तीय सेवा का उदाहरण हैं।


📢 अंतिम विचार

दुनिया अब धीरे-धीरे पारंपरिक बैंकिंग से डिजिटल और डिसेंट्रलाइज़्ड फाइनेंस (DeFi) की ओर बढ़ रही है।
आने वाले समय में BRICS और Stablecoin जैसे मॉडल आर्थिक स्वतंत्रता, गति और पारदर्शिता को बढ़ावा देंगे।


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